आज आज आज आज आज
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*_9 मार्च, रविवार*
*दोपहर 1 बजे*
*जन्तर मन्तर , दिल्ली*
*आव्हान पत्र*
*विषय- " देश की बेटी के लिए न्याय: ये लड़ाई हर भारतीय की है!”*
प्रिय समाज सेवी/मानवाधिकार योद्धा/संगठन प्रमुख जी,
आपसे और समाज से एक सीधा सवाल है:_"क्या आपकी या हमारी, बेटी, बहन, माँ... पीडिता होने से पहले सिर्फ एक 'बस्तु या जाति मात्र है?"_
अगर नहीं,
*तो क्यों 17 साल की माशूम बेटी को* *जाति और पुलिस की मिलीभगत और सिस्टम की चुपी के बीच दफनाया जा रहा है?*
ये पत्र पढ़ते हुए अपने दिल की आवाज़ सुनिए... *_क्या आपका खून नहीं खौलता क़ी : बेटी का शव उसके माँ-बाप को नहीं दिया गया, बल्कि बनारस की निर्मम धरती पर जला दिया गया!_*
_*9 दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई और साबूतो को नस्ट होने दिया गया, क्योंकि स्थानिये पुलिस और आरोपी "भाईचारे" में बंधे हैं!*_ और
_*क्यो एक गरीब की बेटी की चीख को "हादसा" बताकर छोड़ दिया जाता है*,
*अपराधी खुले घूमते रहते हैं, सत्ता गहरी नींद सोती रहती है! जबतक की पीड़िता किसी बड़े बयक्ति, जाति या नेता की सम्बन्धी ना हो_*
*_क्या गरीब और कमजोर लोग अपनी बेटियां इस दिन के लिए ही पैदा कर रहे हैं की कोई रसुखदार उन्हें अपने हवस का शिकार बना सके।*_ जबकी सरकारे इन्हीं 85 करोड़ लोगों के वोट से बनती है।
ये पत्र नहीं, आपके विवेक का आईना है:
1. *"मैं व्यस्त हूँ"*– क्या आपकी व्यस्तता किसी बेटी की चीख और माँ-बाप के आँसुओं से ज़्यादा महत्वपूर्ण है?
2. *"मेरे समाज से तो कोई वास्ता नहीं"*– क्या गरीब की बेटी "देश की बेटी" नहीं है, आप की बेटी नहीं है, सिर्फ "सासारम की लाश" और समाज के लिए सवालिया निशान है?
3.*"मैं अकेला क्या कर सकता हूँ?"*– अगर आप जैसे हज़ारों "अकेले" इकट्ठा हो जाएँ, तो सिस्टम को जगना पड़ेगा और न्याय देना होगा!
हम आपसे पूछते हैं:
- क्या आपके "समाज सेवा" के प्रमाणपत्र सिर्फ वाहवाही लूटने और दीवारों पर टँगने के लिए हैं?
- क्या आपकी "मानवता" सिर्फ भाषणों तक सीमित है?
- *क्या हम उस सिस्टम का हिस्सा बन गए हैं जो बेटियों को जलाने के बाद चुपचाप राख बिखरा देता है? और दबंगो को कुछ बोल या कर ही नहीं पा रहा*
*9 मार्च का धरना*: _बेटियों को सुरक्षित बनाने की लड़ाई की घोषणा है_
हम नहीं चाहते:
- आपका **धन** (हालाँकि लड़ाई के लिए ज़रूरी है)।
- आपका **समय** (हालाँकि 2 घंटे भी काफी हैं)।
हम चाहते हैं: *आपका साहस!* वो साहस जो सिस्टम के सामने सवाल करे, वो जज़्बा जो बेटियो की चीख को *देश क़ी चीख बना दे* और आपको और आपके लोगो को न्याय के बिरुद्ध बेटियो के समर्थन में खरा करे.
आपसे अपील, नहीं, आपको चुनौती है
1. *9 मार्च, दोपहर 1 बजे:* जंतर मंतर पे खड़े होइए, भले ही अकेले आएँ!
2. **हर 1 घंटे में #JusticeForDeshkiBeti* पोस्ट करें – सोशल मीडिया को जगाए!
3. *10 लोगों को टैग करें* – उन्हें पुछे: "क्या तुम्हारी बेटी सुरक्षित है?"