*गुलामगिरी ग्रंथ की प्रस्तावना*
इस देश में अंग्रेज सरकार आने की वजह से शुद्रो - अतिशुद्रों की जिंदगी में एक नई रोशनी आईं है। यें लोग ब्राह्मणों की गुलामी से मुक्त हुए हैं। यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है।
फिर भी हमको यह कहने में बड़ा दर्द होता है कि अभी भी हमारी इस दयालू सरकार ने शुद्रों - अतिशुद्रों को शिक्षित बनाने की दिशा में गैरजिम्मेदाराना रवैया अख्तियार करने की वजह से ये लोग अनपढ़ के अनपढ़ ही रहे हैं।
यें लोग शिक्षित , पढ़ें लिखे न बन जाने की वजह से ब्राह्मणों के नकली पाखंडी धर्म ग्रंथों के , शास्त्र - पुराणों के अंध भक्त बनकर मन से , दिलो-दिमाग से गुलाम ही रहे हैं।
हम चाहते हैं कि अंग्रेज सरकार ने सभी जनों के प्रति समानता का भाव रखना चाहिए और उन तमाम बातों की ओर ध्यान देना चाहिए।
जोतीराव गोविंदराव फुले
पुणे - 1 जून 1873
जयफूले 🙏🙏 जयभीम