बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन

 



बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन के लिए समूचे देश के बौद्ध संगठनों, बौद्ध भिक्षु संघ की एक संयुक्त बैठक बोधगया में आयोजित हो,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,विजय बौद्ध,,,,,,,,,,,,,,भंते हर्ष बोधी के बयान पर देश के बौद्धो ने गहन विचार विमर्श कर चिंता करना चाहिए। यह बोधगया महाबोधि बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन, बौद्धों के अस्तित्व का प्रश्न है। आरएसएस हिंदुत्व संगठन, बोधगया महाबोधि बुद्ध विहार को हिंदुओं से मुक्त करना नहीं चाहते। यही कारण है। कि बोधगया महाबोधि बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन के चलते इस आंदोलन के प्रणेता  बौद्ध भिक्षु सूरई ससाई नागार्जुन को अटल बिहारी वाजपेई के सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाकर बौद्ध मुक्ति आंदोलन खत्म करवाया। और सुरई ससाई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका को भी वापस ले लिया था। जिसके कारण बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन थम सा गया था। फिर भंते आनंद बोधी ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया। कई वर्षों से यह आंदोलन स्थगित था। अब विगत वर्ष से आकाश लामा एंड कंपनी के द्वारा बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार, ब्राह्मण हिंदुओं के कब्जे से मुक्त किए जाने आंदोलन चलाया जा रहा है। आंदोलनकर्ता ,, हर्ष बोधी के बयान के अनुरूप संदिग्ध है। बौद्ध भिक्षु हर्ष बोधी ने जितने भी सवाल मीडिया के माध्यम से खड़ा किया है। वह अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गंभीर है। उसके जवाब आकाश लामा एवं अन्य आंदोलनकर्ताओं  को देना चाहिए। आखिर इतने बड़े आंदोलन को खड़ा करने के पीछे चंद लोग ही आगे क्यों है ॽ क्यों देश के बौद्ध संगठनों के प्रमुखों , भिक्षु संघ की बोधगया में मीटिंग नहीं आहूत की गई ॽ क्यों सारे देश के बौद्धो को विश्वास में नहीं लिया गया ॽ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर करने पर क्यों विचार नहीं किया जा रहा है ॽ विश्वसूत्रों के अनुरूप बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार आंदोलन को चलाने जो फंड या पैसा,आर्थिक सहयोग आता है, वह बौद्ध भिक्षु आकाश लामा के व्यक्तिगत अकाउंट में क्योंआता हैॽ इस आंदोलन के जनक रहे बौद्ध भिक्षु सूरई ससाई नागार्जुन एवं भंते आनंद बोधी को भी विश्वास में क्यों नहीं लिया जा रहा है ॽ यह आंदोलन चंद बौद्धो या बौद्ध भिक्षुओं का आंदोलन नहीं है। यह आंदोलन देश दुनियां के बौद्धों के विरासत को बचाने और उनके अस्तित्व को कायम रखने का आंदोलन है। यह आंदोलन बोधगया के बजाय दिल्ली के संसद भवन जंतर मंतर पर किये जाने पर विचार होना चाहिए। और उसके लिए आकाश लामा और उनके सहयोगीयो ने सारे देश के बौद्ध संगठनों के प्रमुखों को बोधगया में आमंत्रित कर एक खुली मीटिंग आयोजित करना चाहिए। ताकि आंदोलन सफल हो सके। यदि ऐसा नहीं किया गया तो कट्टर हिंदुत्व आरएसएस इस आंदोलन को खत्म करने के लिए कई प्रकार से षड्यंत्र रच सकता है। वैसे कुछ बौद्ध भिक्षुओं पर विश्वास नहीं किया जा सकता। वह लगातार आरएसएस के संपर्क में या उनके शरण में है। और उन्हीं के कारण उनकी रोजी-रोटी धर्म का धंधा चल रहा है। हमने अयोध्या जो साकेत बौद्ध विरासत है, उसको को दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में हिंदुओं ने, बुद्ध की विरासत बुद्ध के हृदय स्थल बुद्ध के छाती पर राम का मंदिर निर्माण कर लिया है। हमें अब किसी भी स्थिति में बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार को ब्राह्मण हिंदुओं के कब्जे से मुक्त करने के लिए आर पार की लड़ाई लड़ना चाहिए। विजय बौद्ध, राष्ट्रीय महासचिव विश्व बौद्ध संघ दिल्ली, पूर्व राष्ट्रीय सचिव, बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति बौद्ध धम्म संसद बोधगया, एवं संपादक थे बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश, 9424 756130,,,